तुफानो में दीप जलाओ
हृदय
स्नेह का तेल
बने
समता की बाती
जले
कर्म की लौ
ज्ञान-दीवे
की माटी
अंधे जग का तिमिर मिटाओ
तूफानों में दीप जलाओ
झंझावात
चले जाति का
सम्प्रदाय
की आंधी आए
चक्रवात
हो भाषा के
मजहब
का तम तामस छा जाए
बुझे न लौ ऐसी सुलगाओ
तूफानों में दीप जलाओ
जर्जर
जंग लगा जड़ जीवन
आहत
क्षत विक्षत हर यौवन
दीप्तिवान
हो उठे प्राण
अब
जले जोत चेतन जन मन
मृत्यु में जीवन सरसाओ
तूफानों में दीप जलाओ
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