फिर से आजा गाँधी
तू फिर से आजा गाँधी, ये देश बुलाए सारा
गुलामी की जंजीरे, सब तूने तोड़ गिराई
सम्बल था सच्चाई का, लाठी ना तोप चलाई
झुक गया तेरे कदमों पर दुश्मन का लश्कर
सारा
तू फिर से आजा गाँधी....
सब दीन-दुखी दलितों को था अपने गले लगाया
मन में थी माँ सी ममता, पतितों का बना
सहारा
तू फिर से आजा गाँधी....
हम तुम्हें जगाने आए, उठ जाग अमर बलिदानी
धरती पर फिर से चमके, भारत का नया सितारा
तू फिर से आजा गाँधी, ये देश बुलाए
सारा....
तू फिर से आजा गाँधी...