Thursday 30 August 2012

बेटा-बेटी


बेटा जब पैदा हुआ, लडडू बांटे माय

बेटी घर में आई तो, मुंह से निकली हाय |

     

      बेटा पीले दूध तू, और मलाई डाल

      रूखी-सूखी खाय कै, बेटी होत निहाल |

 

बेटा क्रिकेट खेल तू, देर रात घर आय

घर की देहली के बाहर, बेटी तू मत जाय |

 

      बेटा कॉलेज में पढ़े, और अंग्रेजी भांज

      झाड़ू-पोंचा खत्म कर, बेटी बर्तन मांज |

 

बेटा गया विदेश में, माँ तरस रही दिन-रात

बेटी बैठी पास में, माँ को नज़र ना आय |

     

      हुई बिमारी सांस की, माँ ने पकड़ी खाट

      बेटी सेवा कर रही, बेटे की देखै बाट |

 

एक दिन माँ तो मर गई, बेटी धाड़ मरकर रोय

लोग बुलावै पूत को, क्यूंकि पुत्र बिन ना मुक्ति होय |

 

      जाने किसने बना दिये, ऐसे घृणित रिवाज

      और कहाँ तक जा गिरेगा, अपना पतित सामाज |

 

बेटा-बेटी एक है, एक पेट की आग

कभी बेटी को भी तरसोगे, जाग सके तो जाग |

 

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