Thursday 30 August 2012

नहीं चाहिये


मुझे सवेरा नहीं चाहिये

अंधियारी रातें प्यारी हैं

तप्त नीर नयनों से बरसे

उष्ण बरसातें प्यारी हैं |

 

जहाँ आस की प्यास अधूरी

भूख रूख पल्लवित लता-सी

मिले जहां न दुल्हन की देहली

वे चल बारातें प्यारी हैं |

 

शब्द जहां गूंगा सुर बहरा

यौवन पर व्रीडा का पहरा

नयन मिले मिलकर झुक जाएं

मौन मुलाकातें प्यारी हैं |

 

ज्वलनशील मधुमास

जेठ शीतल किरणें बिखराए

पुष्प छोड़ कांटो पर गुन-गुन

मुझको वे बातें प्यारी हैं |

 

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