मुझे सवेरा नहीं चाहिये
अंधियारी रातें प्यारी हैं
तप्त नीर नयनों से बरसे
उष्ण बरसातें प्यारी हैं |
जहाँ आस की
प्यास अधूरी
भूख रूख
पल्लवित लता-सी
मिले जहां
न दुल्हन की देहली
वे चल
बारातें प्यारी हैं |
शब्द जहां गूंगा सुर बहरा
यौवन पर व्रीडा का पहरा
नयन मिले मिलकर झुक जाएं
मौन मुलाकातें प्यारी हैं |
ज्वलनशील
मधुमास
जेठ शीतल
किरणें बिखराए
पुष्प छोड़
कांटो पर गुन-गुन
मुझको वे
बातें प्यारी हैं |
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